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दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया


करना सबका अति मान सदा, अपमान कभी मत भूल करो।

सम-आदर भाव विभोर करो, सबके उर में मधु स्नेह भरो।

सबको अपने उर में रख लो, शिव शंकर हो अति मौन धरो।

प्रिय राग सुहाग रहे मन में, शुभ रात मने भव सिंधु तरो।


      कुण्डलिया


चेतक सिंह प्रताप का, अति बलशाली वीर।

अकबर को ललकार कर, जग का बना सुधीर।।

जग का बना सुधीर, नहीं कोई टिक पाता।

हो जाता वह ध्वस्त, पास में जो भी जाता।।

कहें मिसिर कविराय,शेर राणा थे प्रेरक।

करता खूब कमाल, सहज ही योद्धा चेतक।।




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1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:52 PM

👍👍🌺

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